Today's murli Sar 3/01/2018
*03-01-18 हिन्दी मुरली सार*
''मीठे बच्चे - बुद्धि का योग बाप से लगाते रहो तो लम्बी मुसाफिरी को सहज ही पार कर लेंगे''
*प्रश्नः-*बाप पर कुर्बान जाने के लिए किस बात का त्याग जरूरी है?
*उत्तर:-*देह-अभिमान का। देह-अभिमान आया तो मरा, व्यभिचारी हुआ इसलिए कुर्बान होने में बच्चों का हृदय विदीरण होता है। जब कुर्बान हो गये तो उस एक की ही याद रहे। उन पर ही बलिहार जाना है, उनकी ही श्रीमत पर चलना है।
*धारणा:-*
सच्चे बाप की मत पर चल सच्ची कमाई करनी है। अपनी मनमत पर नहीं चलना है। सद्गुरू की निंदा कभी भी नहीं करानी है। काम, क्रोध के वश कोई उल्टा काम नहीं करना है।
*वरदान:-*
स्वयं को अवतरित हुए अवतार समझ सदा ऊंची स्थिति में रहने वाले अर्श निवासी फरिश्ता भव
जैसे बाप अवतरित हुए हैं ऐसे आप श्रेष्ठ आत्मायें भी ऊपर से नीचे मैसेज देने के लिए अवतरित हुए हो, रहने वाले सूक्ष्मवतन वा मूलवतन के हो। देह-भान रूपी मिट्टी अथवा पृथ्वी पर आपके बुद्धि रूपी पांव नहीं पड़ सकते इसलिए फरिश्तों के पांव सदा फर्श से ऊपर दिखाते हैं। तो आप सब ऊंची स्थिति में स्थित रहने वाले अर्श निवासी अवतरित हुए अवतार हो, इसी स्मृति से उड़ती कला में उड़ते रहो।
*स्लोगन:-*
स्व-परिवर्तन के तीव्र पुरुषार्थी बच्चों को ही बाप के दुआओं की मुबारक मिलती है।
।।अोम शांति ।।
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