Today murli swaman and slogan




Aaj Ka Swaman 19/08/2017


    
《 *मैं निर्मल और निर्माणचित्त आत्मा  हूँ*》
🔸 _"परिवर्तन शक्ति द्वारा पहले अपने स्वरूप का परिवर्तन करो, मैं शरीर नहीं, आत्मा हूँ। फिर स्वभाव का परिवर्तन करो, पुराना स्वभाव ही पुरूषार्थी जीवन में धोखा देता है, तो पुराने स्वभाव अर्थात् नेचर का परिवर्तन करो। फिर है संकल्पों का परिवर्तन। व्यर्थ संकल्पों को समर्थ में परिवर्तन कर दो। इस प्रकार परिवर्तन शक्ति द्वारा हर बीती को बिन्दी लगा दो तो निर्मल और निर्माण स्वत: बन जायेंगे।"

                 

आज की अव्यक्त पालना :-


जैसे सूर्य की किरणें फैलती हैं, वैसे ही मास्टर सर्वशक्तिवान की स्टेज पर शक्तियों व विशेषताओं रुपी किरणें चारों ओर फैलती अनुभव करे, इसके लिए 'मैं मास्टर सर्वशक्तिवान, विघ्न-विनाशक आत्मा हूँ', इस स्वमान के स्मृति की सीट पर स्थित होकर कार्य करो तो विघ्न सामने तक भी नहीं आयेंगे।





Today’s Avyakt Sustenance:-






As sun’s rays spread, similarly being on the stage of master almighty, experience the powers and the rays of specialties being spread; for this, when you are set on the seat of self-respect of ‘I’m master almighty, destroyer of obstacles’, and perform a task, then, the obstacles won’t even come.
. ओम शान्ति






अनमोल मोती -





वास्तव में हमारे सोचने का तरीका ही हमारे जीवन की उलझनों का कारण होता है, लेकिन हम इसका दोष लोगों पर मढ देते हैं , फलस्वरूप संबंधों में व्यवहारिक नीरसता का ये एक अहम कारण बन जाता है, ओम शांति




स्नेह मोती


आत्मा हमारें शरीर में भृकुटि के मध्य में रहती है, हम स्वयं के आत्मिक स्वरूप में रहने के स्थान, यानि शरीर  व  इसके स्वास्थय का पूरा ध्यान रखेंगे, भौतिक  आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ साथ आत्मिक बल बनाएं रखेंगे,ठीक है।





         *मुरली मन्थन
             
             स्वमान
  *मैं श्रेष्ठ भाग्यवान आत्मा हूँ।*
*आज बाबा का फरमान था (श्रीमत,order/आदेश)*
* भल गृहस्थ व्यवहार में रहो, भोजन आदि बनाओ। बच्चों की सम्भाल करो। अच्छा सवेरे तो टाइम है ना। कहा भी जाता है राम सिमर प्रभात मोरे मन।*
* भल गृहस्थ व्यवहार में रहो, भोजन आदि बनाओ। बच्चों की सम्भाल करो। अच्छा सवेरे तो टाइम है ना। कहा भी जाता है राम सिमर प्रभात मोरे मन।*

*आज बाबा का अरमान था (wish/इच्छा)-*
* बाप कहते हैं हे आत्मा मामेकम् याद करो। पतित-पावन बाप श्रीमत देते हैं। भगवानुवाच हे आत्मायें तुम्हारे में खाद पड़ती है, अभी तुम पतित हो। पतित फिर महात्मा थोड़ेही हो सकते हैं। एक ही उपाय है - मामेकम् याद करो।*
* बच्चों को बहुत मीठी-मीठी ज्ञान की बातें सुनाते हैं, जो बहुत अच्छी रीति धारण करनी चाहिए।*

*आज बाबा की सावधानी थी/ Warning/खबरदारी)-*
*बाप तुम बच्चों को महामंत्र देते हैं कि बाप और वर्से को याद करते रहो, तो तुमको राजधानी का तिलक मिल जायेगा। मीठे-मीठे लाडले बच्चे घर गृहस्थ में रहते कमल फूल समान रहो। जितना प्यार से काम निकल सकता है, उतना क्रोध से नहीं। बहुत मीठे बनो। बाप की याद में सदैव मुस्कराते रहो।*




            धारणा




* तुम भी सवेरे उठ बाप को याद करो, विकर्म विनाश करो। सारा किचड़ा निकल आत्मा कंचन बन जायेगी, फिर काया भी कंचन मिलेगी।*
* बाप जो ज्ञान की मीठी-मीठी बातें सुनाते हैं वह धारण करनी है - बहुत मीठा क्षीरखण्ड बनकर रहना है, कभी लून-पानी नहीं होना है''*



         वरदान



* व्यर्थ संकल्पों के तेज बहाव को सेकण्ड में स्टॉप कर निर्विकल्प स्थिति बनाने वाले श्रेष्ठ भाग्यवान भव !*



           स्लोगन:


*खुशी के खजाने से सम्पन्न बनो तो दूसरे सब खजाने स्वत: आ जायेंगे।*

Om shanti Baba
 

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